भगवान् के अर्धनारीश्वर स्वरुप का ध्यान
श्री शंकर जी का शरीर नीलमणि और प्रवाल के सामान सुन्दर है ,तीन नेत्र हैं ,चारों हाथों में पाश ,लाल कमल ,कपाल और त्रिशूल हैं ,आधे अंग में अम्बिका जी और आधे में महादेव जी हैं .दोनों अलग अलग श्रृंगारों से सज्जित हैं ललाट पर अर्धचन्द्र है और मस्तक पर मुकुट सुशोभित है ,इसे स्वरुप को नमस्कार है .
जो निर्विकार होते हुए भी अपनी माया से विराट विश्व का आकार लेते हैं ,स्वर्ग और मोक्ष जिनकी कृपा कटाक्ष के वैभव बताये जाते हैं ,तथा योगीजन जिन्हें सदा अपने ह्रदय के भीतर अदितीय आत्मज्ञान आनंदस्वरूप में ही देखते हैं ,उन तेजोमय भगवान् शंकर को ,जिनका आधा शरीर शैल राजकुमारी पार्वती जी से सुशोभित है ,निरंतर मेरा नमस्कार है
श्री शंकर जी का शरीर नीलमणि और प्रवाल के सामान सुन्दर है ,तीन नेत्र हैं ,चारों हाथों में पाश ,लाल कमल ,कपाल और त्रिशूल हैं ,आधे अंग में अम्बिका जी और आधे में महादेव जी हैं .दोनों अलग अलग श्रृंगारों से सज्जित हैं ललाट पर अर्धचन्द्र है और मस्तक पर मुकुट सुशोभित है ,इसे स्वरुप को नमस्कार है .
जो निर्विकार होते हुए भी अपनी माया से विराट विश्व का आकार लेते हैं ,स्वर्ग और मोक्ष जिनकी कृपा कटाक्ष के वैभव बताये जाते हैं ,तथा योगीजन जिन्हें सदा अपने ह्रदय के भीतर अदितीय आत्मज्ञान आनंदस्वरूप में ही देखते हैं ,उन तेजोमय भगवान् शंकर को ,जिनका आधा शरीर शैल राजकुमारी पार्वती जी से सुशोभित है ,निरंतर मेरा नमस्कार है
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