नटराज का नृत्य ----
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विपरीत गुणों से निर्मित यह सृष्टि है| कभी एक गुण प्रभावी होता है तो कभी दूसरा|
यह सृष्टि नटराज का एक नृत्य मात्र है जिसमें निरंतर ऊर्जा खण्डों और अणुओं का विखंडन और सृजन हो रहा है| जो बिंदु है वह प्रवाह बन जाता है और प्रवाह बिंदु बन जाता है|
ऊर्जा कणों की बौछार और निरंतर प्रवाह हो रहा है| इन सब के पीछे एक परम चैतन्य है और उसके भी पीछे एक विचार है| समस्त सृष्टि परमात्मा के मन का एक स्वप्न या विचार मात्र है|
इसमें महत्व सिर्फ अपनी निजी चेतना का है; अन्य कुछ भी नहीं है|
ये हमारे विचार और हमारी चेतना ही है जो घनीभूत होकर सृष्ट हो रही है| क्योंकि हम परमात्मा के ही अंश हैं अतः हमारे सब के विचार ही इस सृष्टि का निर्माण कर रहे हैं| जैसे हमारे विचार होंगे वैसी ही यह सृष्टि होगी| यह सृष्टि जितनी विराट है उतनी ही सूक्ष्म है| हर अणु अपने आप में एक ब्रह्मांड है|
अपने परम शिव चैतन्य में रहें तो सब ठीक है अन्यथा सब गलत|
ॐ शिव शिव शिव शिव शिव| शिवोsहं शिवोहं अहं ब्रह्मास्मि| ॐ ॐ ॐ
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विपरीत गुणों से निर्मित यह सृष्टि है| कभी एक गुण प्रभावी होता है तो कभी दूसरा|
यह सृष्टि नटराज का एक नृत्य मात्र है जिसमें निरंतर ऊर्जा खण्डों और अणुओं का विखंडन और सृजन हो रहा है| जो बिंदु है वह प्रवाह बन जाता है और प्रवाह बिंदु बन जाता है|
ऊर्जा कणों की बौछार और निरंतर प्रवाह हो रहा है| इन सब के पीछे एक परम चैतन्य है और उसके भी पीछे एक विचार है| समस्त सृष्टि परमात्मा के मन का एक स्वप्न या विचार मात्र है|
इसमें महत्व सिर्फ अपनी निजी चेतना का है; अन्य कुछ भी नहीं है|
ये हमारे विचार और हमारी चेतना ही है जो घनीभूत होकर सृष्ट हो रही है| क्योंकि हम परमात्मा के ही अंश हैं अतः हमारे सब के विचार ही इस सृष्टि का निर्माण कर रहे हैं| जैसे हमारे विचार होंगे वैसी ही यह सृष्टि होगी| यह सृष्टि जितनी विराट है उतनी ही सूक्ष्म है| हर अणु अपने आप में एक ब्रह्मांड है|
अपने परम शिव चैतन्य में रहें तो सब ठीक है अन्यथा सब गलत|
ॐ शिव शिव शिव शिव शिव| शिवोsहं शिवोहं अहं ब्रह्मास्मि| ॐ ॐ ॐ
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