Monday, April 13, 2015

गर्भावस्था में शास्त्रों की ये 9 बातें

दुनिया के सभी धर्म ग्रंथों ने रिश्तों में मां का दर्जा सबसे ऊंचा माना है। संतान की पहली गुरु मां होती है। वही उसे पालती है। उसकी गोद में बच्चा जो भाषा सीखता है उसे मातृभाषा कहा जाता है।

हमारी सनातन संस्कृति में गौरीशंकर, सीताराम, राधेश्याम जैसे नाम रखने की परंपरा भी यह साबित करती है कि मां का स्थान दुनिया के और दस्तूरों से बड़ा और सबसे पहले है।

ऋषियों, दार्शनिकों ने ग्रंथों में ऐसी कई बातों का उल्लेख किया है जिनका ध्यान गर्भवती महिला को रखना चाहिए, क्योंकि उसका उल्लंघन न सिर्फ बच्चे के लिए, बल्कि उसके लिए भी हानिकारक हो सकता है। पढ़िए ऐसी ही कुछ बातें-

1- गर्भावस्था में मल-मूत्र, अपानवायु, छींक, प्यास, भूख, नींद, खांसी, जम्हाई जैसे आवेगों को रोकना नहीं चाहिए। साधारण अवस्था में भी इन्हें रोकने से हानि होती है, इसलिए गर्भावस्था में इन्हें कभी नहीं रोकना चाहिए।

2-  क्रोध न करें, अप्रिय बातें न सुनें, न करें। वाद-विवाद में न पड़ें। भयानक दृश्य, टीवी-सिनेमा के ऐसे कार्यक्रम जो डरावने हों, न देखें। तीव्र व तीखी ध्वनि उत्पन्न करने वाले स्थानों से दूर रहें।

3- रात्रि को देर तक न जागें। सुबह देर तक न सोएं। दोपहर को थोड़ा विश्राम करें लेकिन बहुत गहरी नींद न लें।

4- सख्त, पथरीले, टेढे़ स्थानों पर न बैठें। पर्वत, ऊंचे घर, लंबी सीढ़ियां, रेत के टीले पर न चढ़ें।

5- बहुत चुस्त और गहरे रंग के वस्त्र न पहनें। इस दौरान अधिक आभूषण पहनना भी हानिकारक होता है।

6- हमेशा करवट लेकर ही सोएं। करवट को समय-समय पर बदलें। घुटने मोड़कर, सीधे या उल्टे सोने से नुकसान हो सकता है।

7- दुर्गंध वाले स्थानों, खट्टे खाद्य पदार्थ वाले वृक्षों, अत्यधिक धूप और पानी के सरोवर से दूर रहें।

8- अनुभवी वैद्य या चिकित्सक की सलाह के बिना कोई औषधि न लें। जोर-जोर से सांस न लें। सांस को रोकने की कोशिश न करें।

9- अपने इष्ट देव का ध्यान करें लेकिन लंबे उपवास न करें। अत्यधिक वात कारक, मिर्च-मसालेदार, बासी पदार्थ तथा मादक पदार्थों का सेवन कभी नहीं करना चाहिए।

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