विवाह विषय में पाश्चात्य और भारतीय विचार-
(१) स्त्री को शिष्टाचार नियम से वाम भाग में बैठाते थे, अतः उसे वामोरु (वाम जंघा के पास) कहते थे। इसका अर्थ बाइबिल में यह किया गया कि जांघ की हड्डी से स्त्री का निर्माण हुआ और इस हड्डी का नाम फीमेल (Female) के स्रोत के अनुसार फेमुर (Femur) हुआ। अतः स्त्री को पुरुष की तरह जीवित प्राणी नहीं मानते थे। यह स्थिति ब्रिटेन में १७२० ई. तक रही। यह अरब (वरुण क्षेत्र) में प्रचलित अर्थ था-वारुणेन च जङ्घोरु (दुर्गा सप्तसती २/१४)।
(२) आत्मा और जीव को दो पक्षी कहा गया है, जिसमें आत्मा निर्लिप्त द्रष्टा है और जीव कर्म में आसक्त या लीन है। आत्मा को आदम और जीव को ईव कहागया है। कर्मफल का उअभोग वर्जित है, इस फल का भोग करने वाले जीव (ईव) को स्त्री मान कर उसकी निन्दा की गयी है।
(३) पत्नी को पति की सेवा के लिये ही कुरान में माना गया है। वेद में शक्ति या तेज का स्रोत सूर्य पुरुष है, उसे ग्रहण करने वाली पृथ्वी स्त्री है। पृथ्वी कक्षा ताप क्षेत्र है अतः इस प्रकार गोलाकार बर्तन जिस पर रोटी गर्म करें, वह तवा (तप्ता) है। तवा की तरह परिक्रमा कर सेवा करना तावूफ़ (कुरान में) = प्रदक्षिणा है। जो सदा पति की तावूफ़ या सेवा करे वह तवायफ़ (वेश्या) है। तवायफ़ से वाइफ (Wife) हुआ है।
(३) असुर सभ्यता में स्त्री को धन माना गया है। वह लक्ष्मी रूपा है अर्थात् धन को संजो कर रखने वाली है। पर बाइबिल में उसे निर्जीव सम्पत्ति माना गया है। यही शुम्भ का विचार था-(उसका दूत)-
एवं दैत्येन्द्ररत्नानि समस्तान्याहृतानि ते। स्त्रीरत्नमेषा कल्याणी त्वया कस्मान्न गृह्यते। (दुर्गा सप्तशती ५/१००) रत्नभूतानि भूतानि तानि मय्येव शोभने॥१११॥
स्त्रीरत्नभूतां त्वां देवि लोके मन्यामहे वयम्।
सा त्वमस्मानुपागच्छ यतो रत्नभुजो वयम्॥११२॥
भज त्वं चञ्चलापाङ्गि रत्नभूतानि वै यतः॥११३॥
किन्तु भारत में स्त्री को बराबर का माना गया है। देवी का उत्तर था-यो मां जयति संग्रामे यो मे दर्पं व्यपोहति। यो मे प्रतिबलो लोके समे भर्ता भविष्यति॥१२०॥
(४) स्त्री को शक्तिरूप कहा गया है, यद्यपि शारीरिक शक्ति पुरुषों में अधिक होती है। सेना, वाहिनी आदि शब्द स्त्रीलिंग हैं अतः अंग्रेजी शब्द पुलिस भी हिन्दी में स्त्रीलिंग रूप में व्यवहार होता है।
शिवः शक्त्या युक्तो यदि भवति शक्तः प्रभवितुम्, न चेदेवं देवो न खलु कुशलं स्पन्दितुमपि।
आत्स्त्वामाराध्यां हरि-हर-विरिञ्चादिभिरपि, प्रणन्तुं स्तोतुं वा कथमकृत-पुण्यः प्रभवति॥ (सौन्दर्य लहरी, १)
(५) स्त्री नौकरानी नहीं है, वरन् पति ही सेवक जैसा है-अद्यप्रभृत्यवनताङ्गि तवास्मि दासः (कुमारसम्भव, सर्ग ५)-शिव ने पार्वती को कहा-अवनत अङ्ग वाली, मैं आज से ही तुम्हारा दास हुआ (विवाह का निर्णय करते ही)। व्याकरण की भी एक उक्ति है-चिकीर्षा यो न जानाति तस्मै कन्या न दीयताम्=चिकीर्षा शब्द की व्युत्पत्ति जो नहीं जानता उससे कन्या का विवाह नहीं करना चाहिये। चिकीर्षा = काम करने की इच्छा। जो मजदूर की तरह खटने को तैयार नहीं, उसे कन्या नहीं देनी चाहिये।
(५) भर्त्ता (पति) = जो भरण करे। पति धन-सम्पत्ति से घर को भरे, पत्नी खाली करे।
भरत = (भरण करने वाला) विश्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई॥ (रामचरितमानस, बालकाण्ड).
In Western and Indian wedding theme ideas-
(I) in part baithate the women were left out of etiquette rules, so he was called vamoru (near left jangha). It was in the Bible that shaped the women from the thigh bone and the bone name phimel (Female), according to the source of phemur (Femur) happened. So the woman doesn't like living creature believed to be male. This situation lasted 1720 e. in Britain. It was the prevailing sense in Arabia (Varun area)-vernon f jangghoru (Durga saptasti 2/14).
(2) spirit and have been told that two creatures looking in turns the soul bird watcher and is absorbed in organism enamored or karma. Is Eve kahagya Adam and spirit creatures. Cammalleri's uabhog is prohibited, this fruit indulgence of the creatures (Eve) is the feminine values his blasphemy.
(3) to serve as her husband's wife has been considered in the Qur'an. Sources of power in the Vedas or sharp Sun Eclipse male, he is down-to-Earth woman. Earth is thus rounded pot heating area on which bread, is the hot tawa (tapta). The frying pan to the orbiting service like tavuf (in the Quran) = is encompass. Who ever does the husband's tavuf or service tavayaf (whore) is. Tavayaf is from vaiph (Wife).
(3) has been considered feminine in Asura civilization to wealth. He is having the money Lakshmi Rupa is sanjo. Is it in the Bible on inanimate property. That was the idea of shumbh (his Messenger)-
& Daityendraratnani samastanyahritani te. Striratnamesha Kalyani tvaya kasmann grihyate. (Durga saptashti 5/100) ratnabhutani bhutani tani mayyev shobhne ||111 ||
After Locke manyamhe vayam tvan striratnabhutan.
Little tvamasmanupagachch yato ratnabhujo vayam ||112 ||
Tell a tvan chanychalapanggi ratnabhutani Vai yataah ||113 ||
But India has been considered equivalent to the bride. Devi was answered-Yo Yo Ma jayti darpan in sangrame vyapohti. Yo bhavishyati pratiblo Locke in same bharta ||120 ||
(4) feminine shaktirup stated, although physical strength is more in men. Army, Corps, etc are so feminine gender words English words in the feminine gender as police is also Hindi.
Shivaah shaktya chedevan bhavti shaktaah prabhvitum yukto if not Devo spanditumpi na khalu kushlan.
Atstvamaradhyan Hari kathmakrit stotun virinychadibhirpi, pranantun WA-every--punyaah prabhvati || (Beauty lahore, 1)
(5) the purpose of the spouse is not the only female maid servant like-adyaprabhrityavnatanggi tavasmi dasaah (kumarsambhav, Canto v)-Shiva, Parvati asked-demote the angg, today I was your slave from (marriage decide only). Grammar is also a dictum-chikirsha yo chikirsha diyatam = word not janati tasmai Virgo not etymology of who don't know of her Virgo must not. Chikirsha = desire to work. Which is laborer like khatne should not be her willing female.
(V) bhartta (husband) = to the fill. Husband funds – to clear the full House of the property, wife.
Bharat = (the fill) nutritional world fill Joey. Takar name Bharat as Hoi || (Ramcharitmanas, blanked)
(१) स्त्री को शिष्टाचार नियम से वाम भाग में बैठाते थे, अतः उसे वामोरु (वाम जंघा के पास) कहते थे। इसका अर्थ बाइबिल में यह किया गया कि जांघ की हड्डी से स्त्री का निर्माण हुआ और इस हड्डी का नाम फीमेल (Female) के स्रोत के अनुसार फेमुर (Femur) हुआ। अतः स्त्री को पुरुष की तरह जीवित प्राणी नहीं मानते थे। यह स्थिति ब्रिटेन में १७२० ई. तक रही। यह अरब (वरुण क्षेत्र) में प्रचलित अर्थ था-वारुणेन च जङ्घोरु (दुर्गा सप्तसती २/१४)।
(२) आत्मा और जीव को दो पक्षी कहा गया है, जिसमें आत्मा निर्लिप्त द्रष्टा है और जीव कर्म में आसक्त या लीन है। आत्मा को आदम और जीव को ईव कहागया है। कर्मफल का उअभोग वर्जित है, इस फल का भोग करने वाले जीव (ईव) को स्त्री मान कर उसकी निन्दा की गयी है।
(३) पत्नी को पति की सेवा के लिये ही कुरान में माना गया है। वेद में शक्ति या तेज का स्रोत सूर्य पुरुष है, उसे ग्रहण करने वाली पृथ्वी स्त्री है। पृथ्वी कक्षा ताप क्षेत्र है अतः इस प्रकार गोलाकार बर्तन जिस पर रोटी गर्म करें, वह तवा (तप्ता) है। तवा की तरह परिक्रमा कर सेवा करना तावूफ़ (कुरान में) = प्रदक्षिणा है। जो सदा पति की तावूफ़ या सेवा करे वह तवायफ़ (वेश्या) है। तवायफ़ से वाइफ (Wife) हुआ है।
(३) असुर सभ्यता में स्त्री को धन माना गया है। वह लक्ष्मी रूपा है अर्थात् धन को संजो कर रखने वाली है। पर बाइबिल में उसे निर्जीव सम्पत्ति माना गया है। यही शुम्भ का विचार था-(उसका दूत)-
एवं दैत्येन्द्ररत्नानि समस्तान्याहृतानि ते। स्त्रीरत्नमेषा कल्याणी त्वया कस्मान्न गृह्यते। (दुर्गा सप्तशती ५/१००) रत्नभूतानि भूतानि तानि मय्येव शोभने॥१११॥
स्त्रीरत्नभूतां त्वां देवि लोके मन्यामहे वयम्।
सा त्वमस्मानुपागच्छ यतो रत्नभुजो वयम्॥११२॥
भज त्वं चञ्चलापाङ्गि रत्नभूतानि वै यतः॥११३॥
किन्तु भारत में स्त्री को बराबर का माना गया है। देवी का उत्तर था-यो मां जयति संग्रामे यो मे दर्पं व्यपोहति। यो मे प्रतिबलो लोके समे भर्ता भविष्यति॥१२०॥
(४) स्त्री को शक्तिरूप कहा गया है, यद्यपि शारीरिक शक्ति पुरुषों में अधिक होती है। सेना, वाहिनी आदि शब्द स्त्रीलिंग हैं अतः अंग्रेजी शब्द पुलिस भी हिन्दी में स्त्रीलिंग रूप में व्यवहार होता है।
शिवः शक्त्या युक्तो यदि भवति शक्तः प्रभवितुम्, न चेदेवं देवो न खलु कुशलं स्पन्दितुमपि।
आत्स्त्वामाराध्यां हरि-हर-विरिञ्चादिभिरपि, प्रणन्तुं स्तोतुं वा कथमकृत-पुण्यः प्रभवति॥ (सौन्दर्य लहरी, १)
(५) स्त्री नौकरानी नहीं है, वरन् पति ही सेवक जैसा है-अद्यप्रभृत्यवनताङ्गि तवास्मि दासः (कुमारसम्भव, सर्ग ५)-शिव ने पार्वती को कहा-अवनत अङ्ग वाली, मैं आज से ही तुम्हारा दास हुआ (विवाह का निर्णय करते ही)। व्याकरण की भी एक उक्ति है-चिकीर्षा यो न जानाति तस्मै कन्या न दीयताम्=चिकीर्षा शब्द की व्युत्पत्ति जो नहीं जानता उससे कन्या का विवाह नहीं करना चाहिये। चिकीर्षा = काम करने की इच्छा। जो मजदूर की तरह खटने को तैयार नहीं, उसे कन्या नहीं देनी चाहिये।
(५) भर्त्ता (पति) = जो भरण करे। पति धन-सम्पत्ति से घर को भरे, पत्नी खाली करे।
भरत = (भरण करने वाला) विश्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई॥ (रामचरितमानस, बालकाण्ड).
In Western and Indian wedding theme ideas-
(I) in part baithate the women were left out of etiquette rules, so he was called vamoru (near left jangha). It was in the Bible that shaped the women from the thigh bone and the bone name phimel (Female), according to the source of phemur (Femur) happened. So the woman doesn't like living creature believed to be male. This situation lasted 1720 e. in Britain. It was the prevailing sense in Arabia (Varun area)-vernon f jangghoru (Durga saptasti 2/14).
(2) spirit and have been told that two creatures looking in turns the soul bird watcher and is absorbed in organism enamored or karma. Is Eve kahagya Adam and spirit creatures. Cammalleri's uabhog is prohibited, this fruit indulgence of the creatures (Eve) is the feminine values his blasphemy.
(3) to serve as her husband's wife has been considered in the Qur'an. Sources of power in the Vedas or sharp Sun Eclipse male, he is down-to-Earth woman. Earth is thus rounded pot heating area on which bread, is the hot tawa (tapta). The frying pan to the orbiting service like tavuf (in the Quran) = is encompass. Who ever does the husband's tavuf or service tavayaf (whore) is. Tavayaf is from vaiph (Wife).
(3) has been considered feminine in Asura civilization to wealth. He is having the money Lakshmi Rupa is sanjo. Is it in the Bible on inanimate property. That was the idea of shumbh (his Messenger)-
& Daityendraratnani samastanyahritani te. Striratnamesha Kalyani tvaya kasmann grihyate. (Durga saptashti 5/100) ratnabhutani bhutani tani mayyev shobhne ||111 ||
After Locke manyamhe vayam tvan striratnabhutan.
Little tvamasmanupagachch yato ratnabhujo vayam ||112 ||
Tell a tvan chanychalapanggi ratnabhutani Vai yataah ||113 ||
But India has been considered equivalent to the bride. Devi was answered-Yo Yo Ma jayti darpan in sangrame vyapohti. Yo bhavishyati pratiblo Locke in same bharta ||120 ||
(4) feminine shaktirup stated, although physical strength is more in men. Army, Corps, etc are so feminine gender words English words in the feminine gender as police is also Hindi.
Shivaah shaktya chedevan bhavti shaktaah prabhvitum yukto if not Devo spanditumpi na khalu kushlan.
Atstvamaradhyan Hari kathmakrit stotun virinychadibhirpi, pranantun WA-every--punyaah prabhvati || (Beauty lahore, 1)
(5) the purpose of the spouse is not the only female maid servant like-adyaprabhrityavnatanggi tavasmi dasaah (kumarsambhav, Canto v)-Shiva, Parvati asked-demote the angg, today I was your slave from (marriage decide only). Grammar is also a dictum-chikirsha yo chikirsha diyatam = word not janati tasmai Virgo not etymology of who don't know of her Virgo must not. Chikirsha = desire to work. Which is laborer like khatne should not be her willing female.
(V) bhartta (husband) = to the fill. Husband funds – to clear the full House of the property, wife.
Bharat = (the fill) nutritional world fill Joey. Takar name Bharat as Hoi || (Ramcharitmanas, blanked)
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