Sunday, April 12, 2015

वर्णमाला





हमारी वर्णमाला तथा लिपि दैवतुल्य है,
सनातन है, शाश्वत है, चिर नूतन है। बचाव कैसा?


हाँ अगर कोई न सीखकर, अन्य भाषाऒंका अनुवर्तन करता है,
तो ये उनका दुर्भाग्य ही है।

'कृष्ण' के 'ण' के लिये अंग्रेजीमें कोई अक्षर नहीं है,
अर्थात् लोग krishna कहते है, जिसका उच्चारण क्रिष्ना होता है, 

जय श्रीराधेकृष्ण!
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गणिका गणकश्चैव स्व-पञ्चाङ्ग प्रदर्शकौ। ददाति गणिका किञ्चित्, हरते गणको सदा॥
अत्र गणकः (ज्योतिषी) पुल्लिङ्गः, गणकाः प्रायः पुरुष एव सन्ति। स्त्रीलिङ्गे तस्य कुत्सितोऽर्थः। यन्त्र रूपेण संगणकम् नपुंसक लिङ्गः।

अनाप-सनाप = अनर्गल बातचीत। इसका मूल पुराणों की सूची है जो देवीभागवत पुराण के प्रथम अध्याय में है। पुराणों में एक ही कथा के कई विवरण हैं, अतः कई प्रकार की बातें कर्ना अनाप-सनाप है। अनाप आदि शब्द पुराण नामों के प्रथम अक्षर हैं। १८ पुराणों के नाम- मद्वयं भद्वयं चैव ब्रत्रयं वचतुष्टयम्। अनापलिंग कूस्कानि पुराणानि पृथक् पृथक्॥

मद्वयं = मत्स्य, मार्कण्डेय। भद्वयं = भागवत, भविष्य। ब्रत्रयं = ब्रह्म, ब्रह्माण्ड, ब्रह्मवैवर्त्त। वचतुष्टयं = विष्णु, वामन, वराह, वायु। अनाप = अग्नि, नारद, पद्म। लिंग = लिंग, गरुड़। कूस्कानि = कूर्म, स्कन्द। यहां भागवत का अर्थ देवी भागवत है। इन पुराणों की रचना के बाद कृष्ण द्वैपायन व्यास जी को सन्तोष नहीं हुआ तो नारद के उपदेश से उन्होंने भागवत पुराण लिखा।

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