Tuesday, April 14, 2015

कुदरत

आपके आसपास जितनी आवाजें हो रही हैं अगर आप सुन लें तो एक पल के लिए भी जीना मुश्किल हो जाए। उदाहरण के लिए धरती करीब 29 किलोमीटर प्रतिसेकंड की गति से गरजती चिंघाड़ें मारती सूर्य की परिक्रमा करती दौड़ती जी रही है।आवाज कितनी तेज है, इसका हिसाब लगाया गया तो पता चला कि 22 हजार विमानों के उड़ने से आकाश में जितना कंपन हो सकता है वह एक टीएनटी न्यूक्लियर बम के विस्फोट के बराबर है।पृथ्वी जिस गति से घूम रही है, वह नागासाकी और हिरोशिमा में फेंके गए अणुबम की तरह विनाश रच सकती हैं। लेकिन उसका शोर पृथ्वी पर व्याप्त अवकाश को छू भी नहीं पाता। गनीमत है कि मनुष्य 29 किलोमीटर प्रतिसेकंड से दौड़ रही पृथ्वी की आवाज नहीं सुन सकता। हमारे कान 10 से 20 हजार हर्ट्ज (ध्वनि तरंग नापने की ईकाई) के बीच की ध्वनि तरंगें ही सुन पाते हैं।इससे ज्यादा या कम डेसीबल की ध्वनियां नहीं सुन सकते। भौतिक विज्ञानी प्रो. डारमन के अनुसार 10 हजार से कम हर्ट्ज की करीब 12 हजार ध्वनियों के शांत सरोवर और 20 हजार हर्ट्ज की असंख्य ध्वनियां और सकती है।जबकि हर क्षण ऐसी तीव्र ध्वनियां उठती है, जिनको हमारे कान नहीं पकड़ पाते। कान अगर उस आवाज को सुन सकें तो आदमी का कलेजा पिघल जाए या शिराएं फट पड़ें। हॉलैंड के एस्ट्रो-फिजिशियस्ट गुस्ताव लेविन के अनुसार 10 हजार हर्ट्ज से कम तरगों वाली ध्वनियों का कंपन भी मनुष्य के संवेदना तंत्र तक नहीं पहुंचता। पहुंचने लगे तो उसे निरंतर गुदगुदी होती रहे। और शरीर की शिराएं फट जाएं।अभी कोई आकलन नहीं किया जा सका है। जो आंकड़े हैं, वे असल विस्तार के दशमलव शून्य 5 प्रतिशत भी नहीं हैं।प्रो. गुस्ताव का कहना है कि हम किसी भी क्षण या समय में कुदरत का पारावार नहीं पा सकेंगे। कुदरत ही इतनी रहस्यमय है तो उसका मालिक या नियंता कितना विराट और रहस्यों से भरा होगा।

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