Monday, April 13, 2015

मां ने किया था आतंक का अंत

राजस्थान के करौली जिले में एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थित है। यहां मां कैला देवी विराजमान हैं। इनके दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

यह राजस्थान का ही नहीं बल्कि उत्तर भारत का प्रमुख शक्तिपीठ माना जाता है। माता के दरबार में पड़ोसी राज्यों से अनेक श्रद्धालु आते हैं और मेले के दौरान यहां की रौनक निराली होती है।

पहाड़ियों की तलहटी में बना ये मंदिर बहुत प्राचीन है। मंदिर के इतिहास के जानकारों के मुताबिक इसका निर्माण 1600 ई. में राजा भोमपाल ने करवाया था। 

इस मंदिर से कई कथाएं भी जुड़ी हैं। कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव और मां देवकी कारागार में बंद थे, तब कंस योगमाया नामक जिस कन्या की हत्या करना चाहा था, वह यहां कैला देवी के रूप में पूजी जाती है।

मां ने किया था आतंक का अंत
मंदिर से एक और कथा जुड़ी है। उसके मुताबिक, इस इलाके में बहुत घने जंगल थे। यहां एक राक्षस रहता था। उसका नाम नरकासुर था। 

उसके जुल्म से आसपास के लोग परेशान थे। तब अत्याचारों के आतंक से दुखी जनता ने मां दुर्गा से उस दुष्ट से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। 

भक्तों की पुकार पर माता प्रकट हुईं और उन्होंने नरकासुर का वध कर उसके आतंक का अध्याय सदा के लिए बंद कर दिया। मां का वह रूप यहां कैला देवी के रूप में पूजा जाता है।

मां देख रही हैं उस भक्त की राह
यहां विराजमान माता का चेहरा तिरछा है। इसके बारे में एक प्राचीन कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि पहले यह मूर्ति नगरकोट में स्थापित थी। 

जब उस जमाने के अत्याचारी शासक मंदिर नष्ट करना चाहते थे तो मां के पुजारी योगिराज उनकी प्रतिमा को मुकुंद दास खींची के यहां लेकर जा रहे थे।

रास्ते में रात हो गई। पास ही केदार गिरि बाबा की गुफा थी। उन्होंने प्रतिमा बैलगाड़ी से नीचे उतार दी, बैलों को आराम करने के लिए खोल दिया और स्वयं उनसे मिलने चले गए। 

दूसरे दिन जब वे प्रतिमा उठाने लगे तो वह अपने स्थान से नहीं हिली। वे माता की यही इच्छा समझकर उनकी सेवा की जिम्मेदारी बाबा केदारगिरि को सौंपकर स्वयं नगरकोट के लिए प्रस्थान कर गए। यहां मां के दर्शन के लिए भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। 

एक भक्त से मां बहुत प्रसन्न थीं। एक बार उसने कहा कि मैं शीघ्र लौटकर आता हूं। कहते हैं कि वह आया नहीं और मां को अब तक उसका इंतजार है। तब से माता उसी भक्त की राह देखकर रही हैं।

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