Wednesday, April 15, 2015

विवाह की अहमियत

विवाह की अहमियत





कोई भी समाज चाहे कितना ही मॉडर्न क्यों ना हो, महिला-पुरुष का एक साथ रहना तभी स्वीकार कर पाता है जब उन दोनों के पास मैरेज सर्टिफिकेट हो। भारत की तो बात ही छोड़िए जनाब क्योंकि यहां तो शादी से पहले एक-दूसरे का हाथ पकड़ना, सार्वनजिक स्थानों पर मिलना ही बैन है, तो ऐसे में यह अंदाजा तो स्वत: ही हो जाता है कि भारतीय समाज में विवाह की कितनी अहमियत है।


हम भले ही पाश्चात्य देशों को अत्याधुनिक विचारधारा वाला मानते हैं लेकिन वहां भी प्रेम संबंध की अगली मंजिल शादी ही है। विवाह की दो प्रमुख शर्तें होती हैं - विवाह किससे होना है और किस तरीके से होना है। पाश्चात्य देशों में शादी किस तरह और किस व्यक्ति से होगी इसका निर्णय संबंधित युवक-युवती ही करते हैं।


भले ही भारत में आज भी परंपरागत विवाह शैली की ही प्रधानता है, लेकिन आधुनिक होते युवा अपने पसंद के साथी के साथ विवाह करने में रुचि लेने लगे हैं। किंतु यकीन मानिए इनकी गिनती न्यूनतम ही है। भारत में जाति और सोशल स्टेटस को ध्यान में रखकर किए गए विवाह को ही सफल मानते हैं इसलिए लव मैरेज करने वाले हमेशा रिस्क पर ही रहते हैं। पश्चिमी देशों में ऐसा कुछ नहीं है।


चलिए यह तो बात हुई विवाह किससे होना है। अब बात करते हैं विवाह किस तरह से संपन्न होता है। एक समय था जब रिश्तेदारों को बुलावा भेजकर, बड़े से कार्यक्रम पर अच्छा-खासा खर्चा कर विवाह किया जाता था। लेकिन अब विवाह के तरीकों में भी तब्दीली आ गई है।


जन जीवन तक सिनेमा की पहुंच ने लोगों को सीमाओं से आगे सोचने के लिए विवश कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप उस परंपरागत तरीके से विवाह करना तो ठीक है लेकिन अलग-अलग प्रकार से विवाह किए जाने लगे हैं। कोई कोर्ट मैरेज पसंद करता है तो कोई डेस्टिनेशन वेडिंग का लुत्फ उठाना चाहता है। अब लोग ना तो अरेंज मैरेज और ना ही लव मैरेज में विश्वास रखते हैं, वे बस फन मैरेज करना चाहते हैं।

फन तक तो ठीक है लेकिन शायद आप एक बात नहीं जानते कि आप किस तरह से विवाह कर रहे हैं, दोस्तों के साथ, रिश्तेदारों के साथ, यहां तक की अपने होने वाले जीवन साथी के साथ आपकी क्या ट्यूनिंग है, यह बस आपके विवाह का तरीका ही बता देता है।




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