यज्ञ करने का क्या फायदा होता हैं..?
बेशक सभी तरह के रोगियों की तकलीफें आध्यात्मिक उपचारों से ठीक नहीं होती। इसका मतलब यह नहीं है कि वह उपाय असमर्थ हैं। वजह यह है कि उनके उपचार की सही विधि और प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती।जापान की तोकोहू यूनिवर्सिटी के शोध अनुसंधान विभाग के विद्यार्थी के शोध प्रबंध पर टिप्पणी करते हुए उसके गाइड प्रो.मसाहिरो यामागुची ने यह बात उन्होंने यज्ञों से अस्थमा, हृदय रोग, कैंसर और मस्तिष्क के कुछ रोगों के उपचार की विधियों पर किए गए शोध के प्रकाशन अवसर पर कही।शोध प्रबंध के एक अंश का जिक्र करते हुए यामागुची ने अपनी ओर से एक संदर्भ का जिक्र किया कि हाइपॉक्सिया (कॉमा) के रोगी को एक स्थिति के बाद वेण्टीलेशन पर रखा जाता है।उस स्थिति में जब कभी सांस लेने में दिक्कत होती है और कृत्रिम सांस दी जाती है तो उसमें आक्सीजन के अलावा पांच प्रतिशत इसमें कार्बन डायऑक्साइड भी होती है। इतना अंश इसलिए कि मस्तिष्क के केन्द्रों को उत्तेजित कर श्वसन प्रक्रिया नियमित बनायी जा सके।शोधकर्ता सोइची सोसिका ने बीस चिकित्सा विज्ञानियों का हवाला देते हुए लिखा है कि यज्ञ अग्निहोत्र में उत्पन्न होने वाली वायु ऊर्जा में भी कार्बन डाइआक्साइ़ का यही अनुपात रहता है। रोगों एवं मनोविकारों के कारण उत्पन्न रोगों से छुटकारा पाने के लिये अग्निहोत्र से बढ़कर अन्य कोई उपयुक्त उपचार पद्धति है नहीं, यह सब सुनिश्चित होता जा रहा है।जापान के सेंदेई क्षेत्र में तोकोहू यूनिवर्सिटी के अलावा अठारह और प्रयोगशालाओं में यज्ञों से उपचार विषय पर गम्भीरता से शोध अध्ययन चल रहे हैं। इस विषय पर शोध अनुसंधान करने वालों की संख्या जिस तरह बढ़ रही है, उससे तय सा लग रहा है कि एक ऐसी सर्वांगपूर्ण चिकित्सा पद्धति का विकास हो सकेगा जिसमें यज्ञ का ही उपयोग किया जा सकेगा।भारत की तरह और देशों में भी आधुनिक शिक्षा से वंचित तबकों में धूप अगियारी और खास तरह के खाद्यपदार्थों को जला कर उपचार के उपाय किए जाते हैं। प्रो.मसाहिरो का कहना है कि इनमें से कई उपाय युक्तिसंगत नहीं होंगे लेकिन उन उपायों को पूरी तरह नकारना कोई समझदारी नहीं होगी। हो सकता है कि इस तरह यज्ञ से उपचार की पद्धति की कड़ियां मिल सकें।
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