शिव तथा शंकर में अंतर
बहुत से लोग शिव और शंकर को एक ही मानते है, परन्तु वास्तव में एन दोनों में भिन्नता है I आप देखते है की दोनों की प्रतिमाएं भी अलग-अलग आकर वाली होती है I शिव की प्रतिमा अंडाकार अथवा अन्गुष्ठाकर होती है जबकि महादेव शंकर की प्रतिमा शारीरिक आकार वाली होती है इ यह उन दोनों का अलग-अलग परिचय, जो की परमपिता परमात्मा शिव ने अब स्वयं हमें समझाया है तथा अनुभव कराया है स्पष्ट किया जा रहा है :-
महादेव शंकर -
०१. यह ब्रह्मा तथा विष्णु की तरह शरीरधारी है इन्हे "महादेव" कहा जाता है परन्तु इन्हे "परमात्मा" नही कहा जा सकता
०२. यह ब्रह्मा देवता तथा विष्णु देवता की तरह सूक्ष्मलोक में शंकरपुरी में निवास करते है !
०३. ब्रह्मा देवता तथा विष्णु देवता की तरह यह भी परमात्मा शिव की रचना है !
०४. यह केवल महाविनाश का कार्य करते है, स्थापना और पालना कस कर्तव्य इनके कर्तव्य नही है !
परमपिता परमात्मा शिव -
०१. यह चेतन्य ज्योति-बिंदु है और इनका अपना कोई स्थूल या सूक्ष्म शरीर नही है, यह परमात्मा है !
०२. यह ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर के लोक, अर्थात सूक्ष्म देव लोक से भी परे ब्रह्म लोक ( मुक्तिधाम) में वास करते है !
०३. यह ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर के भी रचयिता अर्थात "त्रिमूर्ति" है !
०४. यह ब्रह्मा द्वारा स्थापना, शंकर द्वारा महाविनाश और विष्णु द्वारा विश्व का पालन करके विश्व का कल्याण करते है !
बहुत से लोग शिव और शंकर को एक ही मानते है, परन्तु वास्तव में एन दोनों में भिन्नता है I आप देखते है की दोनों की प्रतिमाएं भी अलग-अलग आकर वाली होती है I शिव की प्रतिमा अंडाकार अथवा अन्गुष्ठाकर होती है जबकि महादेव शंकर की प्रतिमा शारीरिक आकार वाली होती है इ यह उन दोनों का अलग-अलग परिचय, जो की परमपिता परमात्मा शिव ने अब स्वयं हमें समझाया है तथा अनुभव कराया है स्पष्ट किया जा रहा है :-
महादेव शंकर -
०१. यह ब्रह्मा तथा विष्णु की तरह शरीरधारी है इन्हे "महादेव" कहा जाता है परन्तु इन्हे "परमात्मा" नही कहा जा सकता
०२. यह ब्रह्मा देवता तथा विष्णु देवता की तरह सूक्ष्मलोक में शंकरपुरी में निवास करते है !
०३. ब्रह्मा देवता तथा विष्णु देवता की तरह यह भी परमात्मा शिव की रचना है !
०४. यह केवल महाविनाश का कार्य करते है, स्थापना और पालना कस कर्तव्य इनके कर्तव्य नही है !
परमपिता परमात्मा शिव -
०१. यह चेतन्य ज्योति-बिंदु है और इनका अपना कोई स्थूल या सूक्ष्म शरीर नही है, यह परमात्मा है !
०२. यह ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर के लोक, अर्थात सूक्ष्म देव लोक से भी परे ब्रह्म लोक ( मुक्तिधाम) में वास करते है !
०३. यह ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर के भी रचयिता अर्थात "त्रिमूर्ति" है !
०४. यह ब्रह्मा द्वारा स्थापना, शंकर द्वारा महाविनाश और विष्णु द्वारा विश्व का पालन करके विश्व का कल्याण करते है !
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