Monday, April 13, 2015

शिव के क्रोध

आमतौर पर मनाली एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। हर साल लाखों की तादाद में देश-दुनिया से लोग यहां घूमने आते हैं। मनाली से जुड़ी कई प्राचीन मान्यताएं भी हैं।

इसलिए लोग धार्मिक यात्राओं के लिए भी यहां आते हैं। ऐसी ही एक प्राचीन मान्यता शेषनाग और भगवान शिव से जुड़ी है। कहा जाता है कि शिव के क्रोध से बचने के लिए शेषनाग ने एक दुर्लभ मणि फेंकी थी। इससे यहां एक अद्भुत चमत्कार हुआ।

यहां मणिकर्ण में एक जगह ऐसी है जहां उबलता हुआ पानी बाहर निकलता है। मान्यता है कि यहीं पर शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचाव के लिए वह मणि फेंकी थी। शेषनाग ने मणि क्यों फेंकी, इसके पीछे भी एक प्राचीन कथा है।

ऐसी मान्यता है कि मणिकर्ण स्थान पर भगवान शिव और मां पार्वती ने हजारों वर्षों तक तपस्या की थी। एक बार जब पार्वती जल स्रोत में स्नान कर रही थीं तो उनके कान के गहने की मणि पानी में गिर गई।

स्नान के बाद जब मणि नहीं मिली तो मां पार्वती ने भगवान शिव से कहा और शिव ने अपनों गणों को आदेश दिया कि वे मणि को तलाश कर लाएं।

शिव के गण मणि ढूंढने निकले लेकिन बहुत प्रयत्न करने के बाद भी उन्हें मणि नहीं मिली। तब शिव क्रोधित हुए। उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोला तो नैना देवी नाम से शक्ति का उद्भव हुआ। नैना देवी ने अपनी दिव्य दृष्टि से बताया कि यह दुर्लभ मणि शेष नाग के पास है जो पाताल लोक में हैं।

देवताओं और शिव के गणों ने शेष नाग से निवेदन किया कि वे मणि मां पार्वती को लौटा दें। शेष नाग ने मणि लौटा दी और जोर से फुंकार भरी। इससे उस स्थान पर गर्म पानी की धारा निकली। मां पार्वती को मणि मिल गई।

कहा जाता है कि शिव के क्रोध से डरकर शेष नाग ने मणि लौटाते वक्त जो फुंकार मारी, उसके बाद आज भी यहां बिल्कुल गर्म पानी की धारा निकल रही है। इसका पानी इतना गर्म है कि आलू, चावल और दूसरे खाद्यान्न मिनटों में पक जाते हैं। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं और शिव की कृपा से कुदरत के इस अद्भुत नजारे को नमस्कार करते हैं।

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