Monday, April 13, 2015

खुद को कभी कमजोर और प्रतिभाहीन न समझें। इस बात का कभी पश्चाताप न करें कि आपमें वह खासियत नहीं है, जो दूसरों में मौजूद है।

किसी जंगल में एक तालाब था। उसमें कई जीव रहते थे। हर रोज वहां अनेक लोग घूमने आते और उस जगह की तारीफ करते। उसी जंगल में एक बिल्ली रहती थी। 

वह तालाब में रहने वाले एक कछुए से रोज कहती, तुम दिखने में कितने बदसूरत हो! न तो तुम तेज दौड़ सकते हो और न तुम्हें पेड़ पर चढ़ना आता है। इस सुंदर जगह को छोड़कर तुम कहीं चले क्यों नहीं जाते! यहां तुम्हारा क्या काम?

कछुए को यह सुनकर बहुत दुख होता, लेकिन वह चुपचाप बिल्ली की बात सुनता। उसे लगता कि वह धरती पर सबसे बड़ा बोझ है जिसमें कोई योग्यता नहीं। उसकी दुनिया सिर्फ उस तालाब तक सीमित थी। 

उसे ईश्वर पर क्रोध आता कि उसे कछुआ ही क्यों बनाया? अगर वह भी बिल्ली होता तो कितना अच्छा होता! कम से कम दौड़ तो सकता था।

एक दिन जंगल में आग लगी। कई पेड़ और जानवर उसका षिकार बन गए। बिल्ली भी अपने प्राण बचाने
के लिए दौड़ लगा रही थी, लेकिन आग तेजी से उसकी ओर बढ़ रही थी। उसे बाहर निकलने का कोई
रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। वह हार मान चुकी थी। 

तभी उसे कछुआ दिखाई दिया। उसने कछुए से पुरानी बातें भूलकर उसकी जान बचाने की विनती की। कछुआ मान गया। उसने बिल्ली को पीठ पर बैठाया और तालाब के दूसरे सुरक्षित किनारे की ओर ले गया। आज उसे कछुआ होने पर गर्व हो रहा था।

सबक
खुद को कभी कमजोर और प्रतिभाहीन न समझें। इस बात का कभी पश्चाताप न करें कि आपमें वह
खासियत नहीं है, जो दूसरों में मौजूद है। 

ईश्वर को कभी दोष न दें। याद रखें, उसने आपको भी कोई गुण जरूर दिया है। जो व्यक्ति खुद की काबिलियत को जान सकता है, वह कमजोरी को भी ताकत बना सकता है।

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