तृप्ति
संदेशा आया है...
बड़े दिनों के बाद
किसी ने शायद
मेरा गेट खटखटाया है...
याद किया जिसको जीवन भर
होकर समर्पित उसके प्रति
गुजारा हर पल...
सपनो में आते थे जो रात भर
दीदार होगा उनसे
अपने ही घर पर--
मेरे गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर
भ्रम नहीं
ब्रह्मज्ञान करा दो
बस घर पर आकर...
आप ही ने तो कहा है
थोड़ी बीमारी में जाते डॉक्टर के पास लेकर
ज्यादा बीमार हो तो
बुलाते डॉक्टर को घर पर
बस एक बार..पधारो म्हारे घर पर.....
इच्छा हो—पुण्य हो—पुरुषार्थ हो
प्राप्ति होगी जरूर...घर पर
तृप्ति हो जाये—
इससे बड़ा न कोई सुख
जीवन भर....
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