जीवन का प्रसंग
न कोई इस बात में दम
कौन किसके है संग
अपनी अपनी ढपली
अपना अपना सबका रंग
नहीं किसी से किसी का कोई प्रसंग
बच्चे बन गए...
आये है जिंदगी में ...
मिल जायेंगे उनको भी
उनके लायक प्रसंग ...
ये जीवन---
जीवन साथी से हटकर
हो गई बस...
कौन कितनी देर तक है पसंद
गाड़ी और मोबाइल की तरह
नए नए मोडल का आकर्षण
नहीं होता जिस तरह
किसी भी उम्र में कम
जीवन साथी भी हो गए बस ..
पसंद के संग
नहीं इससे ज्यादा रहा किसी को कोई प्रसंग ...
कृतज्ञता,समर्पण,पाणिग्रहण
इन सबका होता जा रहा अवमूल्यन...
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