Wednesday, April 8, 2015

'महादेव कौन है?

'महादेव कौन है?' शिव ने दहाड़ लगाई ।
सभी भाव विहोर होकर सुनने की स्थिति मे आ गए थे। वे एक एक शब्द को ध्यान से सुन रहे थे।
'क्या वो सुस्ती से आशीर्वाद प्रदान करता है जबकि जबकि अन्य लोग सच्चाई के लिए युद्ध करते हैं? क्या वो उदासीनता से चुपचाप देखता रहता है और मृतकों को गिनता रहता है जबकि जीवित व्यक्ति बुराई को नष्ट करने के लिए बलिदान देता है? नहीं!'
उस समय पूर्ण शांति थी और सभी नीलकंठ के संदेश को अवशोषित कर रहे थे।
'कोई व्यक्ति महादेव तभी बनता है जब वह अच्छाई के लिए युद्ध करता है। एक महादेव अपने माता के गर्भ से उत्पन्न नहीं होता है। वह युद्ध के ताप से तपकर निकलता है, जब वह बुराइयों को नष्ट करने के लिए युद्ध का प्रारम्भ करता है।'
सेना निस्तब्ध खड़ी थी क्योंकि वह धनात्मक ऊर्जा का अनुभव कर रही थी।
"मैं एक महादेव हूँ" शिव ने गर्जना की।
सभी के द्वारा एक प्रतिध्वनि करने वाला गड़गड़ाहट वाला शोर उभरा। वे महादेव द्वारा नेत्रत्व प्रदान किए जा रहे थे। देवों के देव। दुश्मनों के पास कोई अवसर नहीं था।
"लेकिन मैं एकमात्र नहीं हूँ"
सभी पर एक चकित करने वाली चुप्पी छा गयी। महादेव का अर्थ क्या होता है? वे एकमात्र नहीं हैं? क्या दुश्मनों के पास भी ईश्वर है ?
"मैं एकमात्र नहीं हूँ! क्यूंकी मैं अपने समक्ष एक लाख महादेवों को देख रहा हूँ। मैं देख रहा हूँ की एक लाख व्यक्ति अच्छाइयों के पक्ष मे युद्ध करने के लिए तैयार हैं। मैं देख रहा हूँ एक लाख व्यक्ति बुराई से लड़ने के लिए तैयार हैं। मैं देख रहा हूँ की एक लाख व्यक्ति बुराई को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं।"
किसी की ऐसी हिम्मत नहीं थी की प्रश्न कर सके , क्या हम ईश्वर हैं ?
शिव के पास उत्तर था, हर एक महादेव है!
सभी विस्मय से खड़े थे। प्रत्येक वह व्यक्ति जो वहाँ था "वह महादेव था?"
"हर हर महादेव" शिव ने गर्जना की।
वे सब भगवान थे, इसका अब कोई अर्थ नहीं था की दुश्मन एक के मुक़ाबले मे दस थे। वे भगवान थे। यदि दुश्मन एक के मुक़ाबले सौ भी होते तो विजय हमारी ही होनी थी।
सभी दहाड़ उठे "हम सब महादेव हैं"
सेना ने पुकार लगाई "हर हर महादेव"
"हर हर महादेव" शिव ने चिल्ला कर कहा हम सभी भगवान है! और भगवान अपने लक्ष्य के कार्य पर हैं!"

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