Saturday, April 11, 2015

27 राजाओं का उल्लेख

27 राजाओं का उल्लेख
वस्तुतः महाभारत युद्ध के पश्चात पांचाल पर पांडवों के वंशज तथा बाद में नाग राजाओं का अधिकार रहा।
महाभारत काल के बाद अर्थात कृष्ण के बाद हजरत इब्राहिम का काल ईस्वी पूर्व 1800 है।
कुल मिलाकर आज से
3814 वर्ष पूर्व अर्थात कृष्ण के 1400 वर्ष बाद हजरत इब्राहिम का जन्म हुआ था।
यह उपनिषदों का काल था। ईसा से 1000 वर्ष पूर्व लिपिबद्ध किए गए छांदोग्य उपनिषद में महाभारत युद्ध के होने का जिक्र है।
इस काल में उत्तर वैदिक काल की सभ्यता का पतन होना शुरू हो गया था। कुछ लोग इसे समय का फेर मानते हैं।
इस काल में एक और जहां जैन धर्म के अनुयायियों और समर्थक शासकों की संख्या बढ़ गई थी वहीं धरती पर यहूदियों के वंश विस्तार की कहानी लिखी जा रही थी।
हजरत इब्राहिम इस काल में इराक का क्षेत्र छोड़कर सीरिया के रास्ते इजराइल चले गए थे और फिर वहीं पर उन्होंने अपने वंश और यहूदी धर्म का विस्तार किया।
इस काल में भरत कुरु, द्रुहु, त्रित्सु और तुर्वस जैसे राजवंश राजनीति के पटल से गायब हो रहे थे।
कशी कौशल वज्जि विदेह, मगध और अंग जैसे राज्यों का उदय हो रहा था।
इस काल में आर्यों का मुख्य केंद्र 'मध्यदेश' था जिसका प्रसार लुप्त सरस्वती से लेकर गंगा के दोआब तक था।
यही कुरू एवम पांचाल जैसे विशाल राज्य भी थे। पुरु और भरत कबीला मिलकर 'कुरु' तथा 'तुर्वश' और 'क्रिवि' कबीला मिलकर 'पंचाल' (पांचाल) कहलाए।
महाभारत के बाद कुरुवंश का अंतिम राजा निचक्षु था। पुराणों के अनुसार हस्तिनापुर नरेश निचक्षु, परीक्षित का वंशज (युधिष्ठिर से 7वीं पीढ़ी में) था।
उसने हस्तिनापुर के गंगा द्वारा बहा दिए जाने पर अपनी राजधानी वत्स देश की कौशांबी नगरी को बनाया।
इसी वंश २६ वी पीढ़ी में बुद्ध के समय में कौशांबी का राजा उदयन था। निचक्षु और कुरुओं के कुरुक्षेत्र से निकलने का उल्लेख शांख्यायन श्रौतसूत्र में भी है।
जनमेजय के बाद क्रमश: शतानीक, अश्वमेधदत्त, धिसीमकृष्ण, निचक्षु, उष्ण, चित्ररथ, शुचिद्रथ, वृष्णिमत सुषेण, नुनीथ, रुच, नृचक्षुस, सुखीबल, परिप्लव, सुनय, मेधाविन, नृपंजय, ध्रुव, मधु, तिग्म्ज्योती, बृहद्रथ और वसुदान राजा हुए जिनकी राजधानी पहले हस्तिनापुर थी तथा बाद में समय अनुसार बदलती रही।
बुद्धकाल में शत्निक और उदयन हुए। उदयन के बाद अहेनर, निरमित्र (खान्दपनी) और क्षेमक हुए।
मगध्वंश में क्रमशः क्षेमधर्म (639-603 ईपू), क्षेमजित (603-579 ईपू), बि‍म्बिसार (579-551 ईपू), अजातशत्रु (551-524 ईपू), दर्शक (524-500), उदायि (500-467 ईपू), शिशुनाग (467-444) और काकवर्ण (444-424 ईपू) ये राजा हुए।
नंद वंश में नंद वंश
उग्रसेन (424-404), पण्डुक (404-294), पण्डुगति (394-384), भूतपाल (384- 372), राष्ट्रपाल (372-360), देवानंद (360-348), यज्ञभंग (348-342), मौर्यानंद (342-336), महानंद (336-324)। इससे पूर्व बृहद्रथ का वंश मगध पर स्थापित था।
की 94 पीढ़ी में बृहद्रथ राजा हुए। उनके वंश के राजा क्रमश: सोमाधि, श्रुतश्रव, अयुतायु, निरमित्र, सुकृत्त, बृहत्कर्मन्, सेनाजीत, विभु, शुचि, क्षेम, सुव्रत, निवृति, त्रिनेत्र, महासेन, सुमति, अचल, सुनेत्र, सत्यजीत, वीरजीत और अरिञ्जय हुए। इन्होंने मगध पर क्षेमधर्म (639-603 ईपू) से पूर्व राज किया था।
आयोध्या कुल के मन्नू की 94 पीढ़ी में बृहद्रथ राजा हुए। उनके वंश के राजा क्रमश: सोमाधि, श्रुतश्रव, अयुतायु, निरमित्र, सुकृत्त, बृहत्कर्मन्, सेनाजीत, विभु, शुचि, क्षेम, सुव्रत, निवृति, त्रिनेत्र, महासेन, सुमति, अचल, सुनेत्र, सत्यजीत, वीरजीत और अरिञ्जय हुए। इन्होंने मगध पर क्षेमधर्म (639-603 ईपू) से पूर्व राज किया था।



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