Saturday, April 11, 2015

श्रीगणेश चतुर्थी

चतुर्थी के दिन आकाश में सूर्य और चंद्र की स्थिति ऐसी कक्षा में होती है कि उस दिन मानव मन सहज कृत्यों को करने के लिए प्रेरित होता है जो मानव के जीवन और प्रगति में अवरोध रूप बन सकता है।
गणेशजी सभी विघ्नों को हरने वाले और रिद्धि-सिद्धि के दाता माने जाते हैं। इसलिए चतुर्थी के दिन उपस्थित होने वाली संबंधित बाधाएं और विघ्नों को रोकने के लिए गणेशजी की उपासना की जाती है, ताकि मन उस दिन संयमित रहे और अमंगल आचरण न हो।
संकट चतुर्थी व्रत करने से जीवन में आए हुए समस्त प्रकार के संकट दूर होते हैं और यदि किसी भी प्रकार का दोषारोपण लगा हो तो दूर होता है। समाज में मान-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
आयु-बल में वृद्धि होती है और कीर्ति प्राप्त होती है। इस दिन गणेशजी को जलस्नान कराने से दु:ख का नाश होता है और सुख मिलता है। जीवन में विद्या, धन संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सफेद पुष्प अथवा जासुद अर्पण करने से कीर्ति मिलती है। दूर्वा अर्पण करने से सौभाग्य, आर्थिक उन्नति और संतान का सुख प्राप्त होता है।

No comments:

Post a Comment